ए0 एस0 गिल
दैनिक,चैलेंजर रिपोर्टर
मेरठ। मेरठ कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष एनवायरनमेंटल स्टडीज की परीक्षा सुबह 7 बजे से 9 बजे तक ही थी,केवल 2 घंटों में छात्र छात्राओं को परीक्षा देने का समय मिला था। लेकिन कॉलेज प्रशासन की सही व्यवस्था ना होने के कारण,छात्र अपने प्रवेश पत्र को लेकर इधर से उधर लेकर घूमते रहे,जिस कारण कई सौ छात्रों को एक घंटा विलंब से,केवल एक घंटा परीक्षा देने के लिए मिला। वहीं जब छात्रों ने पूछना चाहा, तो परीक्षा ड्यूटी पर लगे अध्यापकों ने बच्चों से यह कहते हुऐ पीछा छुड़ा लिया की 4 हजार बच्चा पेपर दे रहा है हम तुम्हे कहां तक रोल नंबर खोज कर दें। इसके अलावा लगभग 300 बच्चों की लिस्ट 7:30 बजे कॉलेज परिसर की दीवार पर चस्पा हुई,जहां ओर आधा घंटा देरी हुई छात्रों को अपना रूम खोजने में।
जबकि सरकार बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए करोड़ों रुपए सरकारी कॉलेजों के लिए खर्च कर रही हैं,लेकिन कॉलेज प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है।
डिजिटल स्क्रीन माध्यम बने
पिछले 50 वर्षों से रोल नंबर चस्पा का धर्रा चला आ रहा हैं। अक्सर देखा गया है कि स्कूल कॉलेजों में गेट से बाहर रोल नंबर लिस्ट चपकाई जाती है और यदि छात्र को अपना रोल नंबर नही मालूम चलता है तो उसे फ़ाड़ देते हैं।बाकी बच्चे उसका खमियाजा भुगतते हैं, एसे में छात्रों के लिए डिजिटल स्क्रीन एक अच्छा विकल्प होगा।