शहीद भगत सिंह की भतीजी का दर्द कौन सुनेगा

 


लेखक विनय कोछड़.चंडीगढ़।


दैनिक,चैलेंजर रिपोर्टर

देश के महान योद्धा एवं शहीद भगत सिंह की भतीजी जसमीत कौर ने साफ तौर पर कहा कि न सरकार के समक्ष कभी झुके, न कभी हाथ फैलाया, न उनसे कोई उपेक्षा रखी, सिर्फ तो सिर्फ अपनी हाथ की कमाई से की गई परिश्रम पर विश्वास रखा। 

कहाकि लोगों का प्यार, वाहेगुरु पर अटूट विश्वास, जरूरतमंद तथा देश-समाज के प्रति निष्ठा से कार्य करने पर मन में विश्वास तथा नई उमंग उत्पन्न होती हैं।

 स्वतंत्रता सेनानी पिता के बताए नक्शे कदम एवं मार्ग पर चलकर समाज तथा देश के प्रति अपने आपको समर्पित कर दिया। मलाल, इस बात का है कि किसी केंद्र-प्रदेश की सरकार ने वर्तमान में सुध तक नहीं ली।

 जिन्होंने, पूछा, उनका कहीं न कहीं अपना स्वार्थ दिखाई दिया। इस बात के रोष स्वरुप पिता ने उन्हें साफ संदेश दे दिया कि उन्हें किसी प्रकार की सरकारी सुविधा के खैरात की आवश्यकता नहीं। 

शुक्रवार को अमृतसर के जलियांवाला बाग में आयोजित स्वतंत्रता सेनानी कार्यक्रम में शहीद भगत सिंह की भतीजी ने यह बात कहीं। उन्होंने कहा कि बचपन से ही परिवार में पिता की देश प्रति स्वतंत्रता की जंग को लेकर , उनके मन में भी देश के लिए जज्बा था।

 तब बचपन में कुछ खास तो नहीं किया। लेकिन, वर्ष 1996 में पिता शहीद स्वर्ण सिंह की मृत्यु उपरांत मन में देश के प्रति कुछ करने की उम्मीद जागी। सोच बदली तो मन में ठान लिया कि सारी आयु देश को अपना जीवन कुर्बान कर देना। देश के शहीद करतार सिंह सराभा, पिता के साथ देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले के पैतृक गांव एक दिन पहुंची।

 वहां तो अब घर को सरकार ने अपने अधीन कर लिया। वहां पर उनके जीवन से जुड़ी हर याद को सजाया गया। जब वहां पर एक पुराना अख्बार देखा तो वहां पर उपस्थित सुरक्षा कर्मी ने उन्हें पिता के बारे कुछ ऐसी बातें जो कि देश की आजादी से जुड़ी थी, बताई तो मन में ठान लिया कि अब सारा जीवन देश के प्रति समर्पित कर देना हैं। 

तब से लेकर वर्तमान तक पीड़ित तथा स्वतंत्रता सेनानी परिवार के साथ हमेशा की तरह चट्टान की मजबूती जैसे खड़ी रहती हैं। देश के प्रति कार्य करने में सकुन महसूस होता हैं।

 लेकिन, देश की सरकारों के प्रति इस बात का मलाल है कि वह वर्तमान में भी स्वतंत्रता सेनानी परिवार को नजरअंदाज कर रही हैं। 

दुख, इस बात का है, जिन परिवारों ने अपनी जान की परवाह किए बैगर देश को स्वतंत्र कराया, उन परिवारों को अपने अधिकारों से वंचित रहना पड़ रहा हैं। हर वर्ष की तरह सरकारें , एक कार्यक्रम आयोजित कर बड़े-बड़े भाषण देकर कई वादे कर देती है, लेकिन, उनमें से एक को भी पूरा नहीं किया जाता। 


पिता को शहीद का दर्जा नहीं दिया

पिता स्वर्ण सिंह बचपन से ही देश की स्वतंत्रता के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। जवानी में देश की स्वतंत्रता के लिए जुलूस से लेकर अंग्रेजों को करारा जवाब देने के लिए , उनके खिलाफ आंदोलन से लेकर , उनकी बुनाए गए जाल को खत्म करने के लिए, उनकी ही भाषा में जवाब दिया। असेंबली में बंम फोड़ा। अंग्रजों ने लात घूसे मार, मृत घोषित कर दिया। जबकि, वह तब जिंदा थे। 

उनके साथियों द्वारा सरकारी अस्पताल में ईलाज कराया। अपनी पहचान को जीवित करने के लिए छोटा-मोटा कार्य कर बड़े परिवार का पालन-पोषण किया। अंतिम समय देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु, उनसे मुलाकात करने पहुंचे। सरकारी सुविधा देने का न्यौता दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार्य नहीं करते हुए, साफतौर पर ठुकरा दिया। जमीन, कोठी का राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने न्यौता दिया। वह भी लेने से साफ मना कर दिया। अंतिम समय में बीमारी की वजह से मृत्यु हो गई।


पाकिस्तान सरकार ने प्रमाण देने से साफ इंकार किया है 

बहन जसमीत कौर ने बताया कि वह पिता के अधिकारों के लिए वर्तमान में संघर्ष कर रही हैं। उन्हें सरकार की पेंशन या फिर अन्य सुविधा तो नहीं चाहिए, लेकिन पिता को शहीद का दर्जा मिलना तो काफी जरुरी हैं। इसके लिए, उन्होंने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को एक पत्र लिखा था। जिसमें पिता के वहां के पुराने प्रमाण की मांग की गई। लेकिन, उन्होंने देने से साफ इंकार कर दिया। इसके पीछे दोनों देश के आपसी रिश्तों की दरार का हवाला दिया। 

सरकारी बाबू के पास फाइल धूल फांक रही है, लेकिन नतीजा शून्य


बहन जी जसमीत कौर ने बताया कि पिता के शहीदी से जुड़ी शेष याद एवं कुछ पुराने प्रमाण लुधियाना के एक सरकारी बाबू के पास पड़ी हैं। लंबे समय से धूल फांक रही हैं। लेकिन, नतीजा न के बराबर हैं। इस पूरे मामले को लेकर प्रदेश के सरकारी मुख्यालय से स्थानीय अधिकारी को कई बार पूछा गया कि अब तक इसमें क्या किया गया। लेकिन, बाबू ने अब तक अपने बड़े अधिकारियों को जवाब देना सही नहीं समझा। 



कई राजनीति पार्टिया दे चुकी शामिल होने का न्यौता

बहन जसमीत कौर ने बताया कि उन्हें देश की बड़ी-बड़ी राजनीति पार्टियां शामिल होने का न्यौता दे चुकी हैं। लेकिन, उन्हें देश सेवा करने के लिए आम जीवन में रहने का अच्छा महसूस होता हैं। सुखबीर बादल ने तो उन्हें पार्टी के उच्च पद देने का न्यौता दिया था, लेकिन साफ इंकार कर दिया। उनका तर्क है कि राजनीति एक-दूसरे को बांट देती है, जबकि, समाज में आम व्यक्तित्व में रहकर दुनिया के लिए बहुत अच्छा किया जा सकता हैं। 



मान सरकार से उम्मीद है 

बहन जसमीत कौर ने बताया कि प्रदेश की सत्ता में आम आदमी पार्टी की सरकार हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान से उन्हें काफी उम्मीदें हैं। लेकिन, पूर्ण होने के उपरांत ही उम्मीदें खरी होगी। फिलहाल, कई बार सीएम उनसे मुलाकात कर, उन्हें हर प्रकार से प्राथमिकता देने का विश्वास तो जरुर दे रहे हैं। लेकिन, स्वतंत्रता सेनानी परिवार की पिछले 75 वर्ष से कई ऐसी समस्याएं, जिन्हें आज तक किसी भी राजनीति पार्टी ने पूरा नहीं किया। 

अपने अधिकारों के लिए न्यायालय की शरण जाएंगी

उन्होंने इस बात से भी बिल्कुल इंकार नहीं किया कि अगर उनकी जायज मांगों को लेकर प्रदेश सरकार ने कुछ नहीं किया तो वह न्यायालय का रास्ता भी चुन सकती हैं। क्योंकि, जिस प्रकार से हर राजनीति पार्टी ने इन स्वतंत्रता परिवार को बड़े बड़े सपनों दिखाकर धरातल पर कुछ नहीं किया। बाबू लोग इन परिवारों की बिल्कुल नहीं सुनते हैं। उल्टा, उन्हें वहां पर सम्मान तक नहीं दिया जाता हैं। जिस प्रकार से उन्हें मिलना चाहिए। 
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